वायुमंडल की परतें (Layers of the Atmosphere)

वायुमंडल कई प्रकार की गैसों से मिलकर बना होता है जिसमें लगभग 99% भाग केवल नाइट्रोजन और ऑक्सीजन का ही होता है और शेष लगभग 1% भाग ऑर्गन, कार्बन डाइऑक्साइड, नियॉन, क्रिप्टॉन, हीलियम, हाइड्रोजन और जेनॉन आदि गैसों का होता है। भारी गैस वायुमंडल के निचले भाग में पाई जाती हैं और हल्की गैसें ऊपरी भाग में पाई जाती हैं जिसमें प्रमुख गैसों की बात करें तो कार्बन डाइऑक्साइड धरातल से लगभग 20 किलोमीटर ऊंचाई तक पाई जाती है। ऑक्सीजन और नाइट्रोजन लगभग 100 किलोमीटर ऊंचाई तक पाई जाती है वायुदाब और तापमान के आधार पर वायुमंडल की परतों को पांच भागों में विभाजित किया जाता है।

1. क्षोभमंडल Troposphere

2. समताप मंडल Stratosphere

3. मध्य मंडल Mesosphere

4. आयनमंडल Ionosphere

5. बहिर्मंडल Exosphere

आयनमंडल, बहिर्मंडल को एक मण्डल तापमण्डल के रूप में भी जाना जाता है ।

क्षोभमंडल (Troposphere)

         यह वायुमंडल की सबसे निचली परत है। इसकी औसत ऊँचाई सतह से लगभग 13 किमी है। यह ध्रुवों पर 8 किमी तथा विषुवत् रेखा (Equator) पर 18 किमी. की ऊँचाई तक है।

विषुवत् रेखा पर क्षोभमंडल की मोटाई सबसे अधिक है, क्योंकि तेज़ वायु प्रवाह के कारण ताप का अधिक ऊँचाई तक संवहन होता है।

            क्षोभमंडल मौसम एवं जलवायु की दृष्टि से सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है क्योंकि मौसम संबंधी सभी घटनाएँ जैसे- वाष्पीकरण, संघनन, वर्षण, कोहरा, बादल, बर्षा , बादलों की गरज,  हिम वर्षा, ओलावृष्टि, आँधी-तुफान, चक्रवात आदि सभी घटनाएं क्षोभमण्डल में घटित होती हैं।

           वायुमंडल के समस्त गैसीय द्रव्यमान का लगभग 75 % क्षोभमंडल में ही केंद्रित है। क्षोभमंडल में बढ़ती ऊँचाई के साथ प्रति 01 कि.मी. पर 6.5° सेल्सियस तापमान घटता जाता है। तापमान में गिरावट की इस दर को ‘सामान्य पतन दर या Normal Lapse Rate कहते हैं। ऊँचाई के साथ तापमान में यह कमी गैसों के घनत्व, वायुदाब एवं कणकीय पदार्थों की कमी के कारण होती है। क्षोभमंडल में ही ‘जेट स्ट्रीम’ धाराएँ भी प्रवाहित होती हैं। ग्रीष्मकाल में क्षोभमंडल की ऊँचाई बढ़ जाती है तथा शीतकाल में घट जाती है। क्षोभमंडल, समतापमंडल से ‘क्षोभ सीमा’ (Tropopause) द्वारा अलग होता है।

 समतापमंडल (Stratosphere)

      क्षोभमंडल के ऊपर वाली परत को ‘समताप मंडल’ या Stratosphere कहा जाता है। इसकी ऊपरी सीमा को ‘समताप सीमा’ या स्ट्रैटोपॉज कहते हैं। मतलब स्ट्रैटोपॉज इसे मध्यमंडल से अलग करती है। धरातल से समताप मंडल की ऊँचाई लगभग 50 किमी. है।  समताप मंडल में अधिक ओज़ोन गैस वाली निचली परत को ‘ओजोन मंडल’ (Ozonosphere) की संज्ञा दी जाती है,  जो लगभग 15 से 35 किलोमीटर की उंचाई पर पाई जाती है। ओजोन परत मानव जीवन के लिय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है क्योंकि ये सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरण (Ultraviolet Radiation) का अवशोषण कर पृथ्वी पर आने से रोकती है।  इन किरणों से त्वचा कैंसर का खतरा होता है ।            समताप मंडल में किसी भी प्रकार की मौसमीय परिघटनाएँ लगभग न के बराबर घटित होती हैं। तथा यहाँ वायु क्षैतिज (Horizontal) दिशा में चलती है। इन्हीं दशाओं के कारण वायुयान उड़ानों के लिये समताप मंडल की निचली सीमा आदर्श मानी जाती है।  कभी-कभी प्रबल संवहन धाराएँ क्षोभसीमा को तोड़कर इस स्तर में थोड़ी जलवाष्प ला देती हैं। यही कारण है कि कभी-कभी कुछ विशेष प्रकार के बर्फ से निर्मित बादल समताप मंडल में दिखाई पड़ जाते हैं, जिन्हें ‘सिरस बादल’ या ‘मदर ऑफ पर्ल क्लाउड’ या ‘नैक्रियस क्लाउड’ (Nacreous clouds) भी कहते हैं। 

 मध्यमंडल (Mesosphere)

          मध्यमंडल का विस्तार समताप मंडल के ऊपर धरातल से लगभग 50 से 80 किलोमीटर की ऊँचाई तक पाया जाता है।  इस मण्डल में भी क्षोभमंडल की तरह ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ तापमान में कमी आने लगती है। मध्यमंडल की ऊपरी सीमा पर तापमान लगभग -100°C तक हो जाता है। इस न्यूनतम तापमान की सीमा को ‘मेसोपॉज’ (Mesopause) कहते हैं, जो आयनमंडल को मध्यमंडल से अलग करती है। इस मंडल में गर्मियों के दिनों में ध्रुवों के ऊपर ‘नॉक्टीलुसेंट बादलों’ अथवा ‘निशादीप्त बादलों’ का निर्माण होता है। इन बादलों का निर्माण उल्कापिंड के धूलकणों तथा संवहनीय प्रक्रिया द्वारा ऊपर लाई गई आर्द्रता के सहयोग से संघनन (Condensation) द्वारा होता है।

 तापमंडल (Thermosphere)

         मध्य सीमा या ‘मेसोपॉज’ (Mesopause) से ठीक ऊपर स्थित वायुमंडल के भाग को ‘तापमंडल’ कहते हैं, जिसमें बढ़ती ऊँचाई के साथ तापमान में तीव्रगति से वृद्धि होती है और कम वायुमंडलीय घनत्व के कारण वायुदाब न्यूनतम होता है।

तापमंडल की विशिष्टताओं के आधार पर इसे दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है-

1. आयनमंडल (Ionosphere), 2. बहिर्मंडल (Exosphere)

 आयनमंडल (Ionosphere)

         मध्यमंडल के ऊपर आयनमंडल का विस्तार से 80 से 640 किमी के मध्य पाया जाता है। आयनमंडल में आयनों अर्थात् विद्युत आवेशित कणों की प्रधानता होती है। ये रेडियो तरंगों को पृथ्वी पर परावर्तित कर देते हैं, और बेतार संचार (wireless communication)  को संभव बनाते हैं।

 बहिर्मडल (Exosphere)

आयनमण्डल के बाद 640 किलोमीटर के ऊपर बाह्यमण्डल मतलब Exosphere का विस्तार पाया जाता है । इस मण्डल की कोई सीमा नहीं है। संचार उपग्रह भू स्थैतिक कक्षा में विषुवत रेखा के लगभग 36000 किलोमीटर की उँचाई पर स्थापित किये जाते हैं।

वायुमंडल कि परतों को Animation के माध्यम से समझें

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